पुरोला।
नीरज उत्तराखंडी
पुरोला तहसील के रामा-कमल सिंराई पट्टी में 90 प्रतिशत किसानों की आजीविका नगदी फसल
मटर-टमाटर पर निर्भर हैं। मौसम आधारित खेती के चलते वर्षा न होने से फसल जहां सूखे की मार झेल रही वहीं फसल बीमा कंपनियों के नकारात्मक रवैये से किसान दोहरी मार झेलने को विवश हैं।
रवांई घाटी में किसान अपनी सूखती फसलों को सूखे से बचाने के लिए लंबे समय से वर्षा का इंतजार कर रहे हैं। बीते शनिवार व रविवार को मौसम ने अचानक करवट बदली आकाश में बादलों ने डेरा डाला तो किसानों के चेहरे पर कुछ रौनक नजर आई लेकिन देर शाम तक वर्षा न होने से उनके चेहरे मुरझा गए।
किसानों को आसमान में छाए बादलों से वर्षा की आस थी । उम्मीद जगी कि वर्षा होगी तो सूखने की कगार पर पहुंची उनकी नगदी फसलों को नया जीवन मिलेगा।लेकिन मौसम की बेरुखी ने उन्हें मायूस कर दिया।समय पर वर्षा न होने से किसानों के सामने आजीविका और दवाई खाद बीज का उधार और बैंक से लिए गए कर्ज चुकाने का संकट खड़ा हो रहा है। वर्षा न होने के कारण मटर की फसल पर गहरा असर पड़ रहा है।
मटर उत्पादक किसानों का कहना है कि खेतों में नमी की कमी से पौधे सूखने लगे हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका है। समय और बदलती मौसम परिस्थितियों के दौर में मटर-टमाटर उत्पादक किसानों को सूखे की स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने की जरूरत है।
सहायक कृषि अधिकारी पुरोता ओमप्रकाश सिंह कहते हैं कि मटर-टमाटर उत्पादक किसानों को सूखे की स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक उपाय अपनाने की जरूरत है।
मटर व टमाटर आदि नगदी फसलों की खेती के सीजन में हर साल सूखे को देखते हुए ड्रिप इरिगेशन जल संरक्षण तकनीकी समेत कृषि विभाग की ओर से सिंचाई के लिए अनुदान पर पाइप भी दिए जा रहे हैं, जो भविष्य में ऐसे हालात से निपटने में मददगार साबित हो सकते हैं।
वहीं क्षेत्र के किसान गोविंद सिंह नेगी राम सिंह नेगी ,चन्द्रमोहन नौटियाल,श्यालिक राम नौटियाल, धनवीर रावत, गोविंद नौटियाल, राजपाल पंवार, नवीन गैरोला हुकुम सिंह रावत का कहना है कि बीमा कंपनियां आनलाइन प्रीमियम तो जमा करा लेती हैं पर नुकसान की भरपाई के सापेक्ष बहुत कम बोमा राशि का भुगतान करती हैं। कई किसान कर्ज लेकर खेती करते हैं और अगर फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है, उनके सामने आर्थिक संकट गहरा जाता है। जिनकी मदद को न तो सरकार और न ही बीमा कंपनियों की ओर से पर्याप्त राहत दी जा रही है।