काशीपुर, अप्रैल 2025।
उत्तराखंड के न्यायालयों में लंबित मामलों को लेकर एक महत्वपूर्ण खुलासा सामने आया है। राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 के प्रारंभ में प्रदेश भर में कुल 3 लाख 84 हजार 234 मामले लंबित थे। इनमें 3 लाख 16 हजार 369 आपराधिक और 67 हजार 876 सिविल केस शामिल हैं।
गौरतलब है कि बीते दो वर्षों में राज्य के न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या में केवल 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि जिलों में लंबित केसों में औसतन 50 प्रतिशत तक की कमी देखी गई है।
उच्च न्यायालय में बढ़े केस:
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वर्ष 2023 की शुरुआत में 44,512 केस लंबित थे, जिनमें 25,635 सिविल और 18,877 आपराधिक केस थे। वर्ष 2024 के अंत तक यह संख्या 24 प्रतिशत बढ़कर 55,323 हो गई, जिनमें 30,301 सिविल और 25,022 आपराधिक केस शामिल हैं।
अधीनस्थ न्यायालयों में स्थिति:
उत्तराखंड के अधीनस्थ न्यायालयों में वर्ष 2023 की शुरुआत में 3,08,694 केस लंबित थे। इनमें 37,872 सिविल और 2,70,822 आपराधिक मामले थे। वर्ष 2025 के प्रारंभ में यह संख्या 7 प्रतिशत बढ़कर 3,28,911 हो गई, जिसमें 37,564 सिविल और 2,91,347 आपराधिक केस शामिल हैं।
जिलों में लंबित मामलों का विश्लेषण:
प्रदेश के 13 में से केवल चार जिलों — देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और पौड़ी — में लंबित मामलों में वृद्धि हुई है, जबकि नौ जिलों में मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है।
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देहरादून: 5% वृद्धि (2023 में 1,08,760 से बढ़कर 2024 में 1,14,155 केस)।
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हरिद्वार: 21% वृद्धि (80,623 से बढ़कर 97,299 केस)।
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नैनीताल: 2% वृद्धि (25,802 से 26,398 केस)।
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पौड़ी: 52% वृद्धि (7,071 से 10,777 केस)।
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टिहरी: 9% वृद्धि (3,170 से 3,467 केस)।
जहां कमी दर्ज हुई:
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उधमसिंह नगर: 3% की कमी (68,785 से घटकर 66,577 केस)।
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उत्तरकाशी: 50% की कमी (2,711 से 1,364 केस)।
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अल्मोड़ा: 12% की कमी (2,100 से 1,846 केस)।
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बागेश्वर: 44% की कमी (812 से 453 केस)।
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चमोली: 32% की कमी (1,521 से 1,027 केस)।
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चम्पावत: 14% की कमी (3,115 से 2,689 केस)।
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पिथौरागढ़: 32% की कमी (3,579 से 2,425 केस)।
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रुद्रप्रयाग: 33% की कमी (645 से 434 केस)।
सूचना का स्रोत:
काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से आरटीआई के माध्यम से यह सूचना मांगी थी। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी एवं ज्वाइंट रजिस्ट्रार एच.एस. गीना द्वारा पत्रांक 1266 के साथ प्रमाणित विवरण उपलब्ध कराया गया।