उत्तराखंड वन विकास निगम में लकड़ी की ई-नीलामी में बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि अफसरों की मिलीभगत से 7.80 लाख रुपये की लकड़ी को महज 6.70 लाख रुपये में बेच दिया गया। यह अनियमितता रामनगर डिवीजन में हुई, जहां ई-नीलामी की प्रक्रिया को दरकिनार कर कम रेट की बोली को मंजूरी दी गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, उच्चतम बोली के बावजूद कुछ अधिकारियों ने नीलामी निरस्त कर कम बोली पर लकड़ी बेच दी। जब मामले की भनक मुख्य सचिव और प्रमुख वन सचिव आरके सुधांशु को लगी, तो उन्होंने गंभीरता से जांच के आदेश दिए। अब संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है।
प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने स्पष्ट किया कि, “मामले की शिकायतें मिली हैं। एमडी को रिपोर्ट देने को कहा गया है। दोषी पाए गए अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होगी और हुए नुकसान की वसूली भी की जाएगी।”
इस पूरे प्रकरण में अफसर एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं।
क्षेत्रीय प्रबंधक हरीश पाल ने कहा कि, “ई-नीलामी में गड़बड़ी तो हुई है, लेकिन यह मेरे स्तर की नहीं है। डीएफओ रामनगर ने मेरे अधिकार क्षेत्र में दखल देकर पहले ही ई-नीलामी निरस्त की थी।”
सूत्रों के मुताबिक, पहले टेंडर में 7.80 लाख रुपये की सबसे ऊंची बोली आई थी, लेकिन कुछ दिन बाद एक अन्य ठेकेदार को केवल 6.70 लाख में वही लकड़ी दे दी गई। यह मामला अब राज्य स्तर पर तूल पकड़ चुका है।
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