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एक्सक्लुसिव खुलासा : आखिर बाल विकास के पूर्व उपनिदेशक ए- स्क्वायर को बचा रहे थे !

in उत्तराखंड
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अनुज नेगी 

देहरादून। लगातार विवादों  में रहने वाला विभाग महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग में पिछले दिनों हुए बदलाव के चलते *ए-स्क्वायर* कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही हेतु कार्मिकों की उम्मीद नए उपनिदेशक के आने से जगी है।

आपको बता दें कि पर्वतजन द्वारा लगातार उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े घोटाले *ए-स्क्वायर* कंपनी द्वारा कार्मिकों से लिया गया तीन से चार माह का वेतन समान सिक्योरिटी धनराशि व कार्मिकों का 3 माह का वेतन न देने तथा आधार कार्ड बनाने हेतु रखे गए कार्मिकों का 10 माह  से अधिक का वेतन *ए स्क्वायर* कंपनी डकारने की फिराक में बैठी है।

सूत्रों के अनुसार विभाग के पूर्व उपनिदेशक डॉ एस के सिंह की *ए स्क्वायर* कंपनी के साथ मिलीभगत होने की बात सामने  आ रही है।

क्योंकि विभाग में पूर्व में कार्यरत कार्मिकों द्वारा कई बार डॉ एस के सिंह के खिलाफ आवाज उठाई गई जिसका खामियाजा कार्मिकों को अपनी नौकरी से हाथ धो कर चुकाना पड़ा व पूर्व कर्मचारियों द्वारा अपनी समस्या जब भी पूर्व उपनिदेशक डॉ एस के सिंह को बताई जाती थी तो डॉ एस के सिंह द्वारा साफ-साफ अपना पल्ला झाड़ दिया जाता था, यह कहकर कि तुमने पैसा हमको थोड़ी दिया है कंपनी को दिया है,कंपनी जाने तुम जानो, जनपद स्तर व निदेशालय स्तर के कार्मिकों द्वारा कई बार पत्र के माध्यम से शिकायत की गई लेकिन डॉ एस के सिंह द्वारा मामले में लेट लतीफ व खाना पूर्ति हेतु मामूली पत्राचार का दिखावा किया जाता रहा है।किसी भी तरह की कोई ठोस कार्यवाही,  कंपनी के खिलाफ FIR व रिकवरी आदेश जारी नहीं किया गया, जिससे साफ साफ प्रतीत होता है, कि डॉ एस के सिंह की *ए-स्क्वायर* कंपनी के भ्रष्टाचार में मिलीभगत है।

आपको याद दिला दें कि कर्नल अजय कोठियाल द्वारा किए गए *ए-स्क्वायर* कंपनी के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन मामले में विभाग द्वारा स्पष्टीकरण के रूप में *ए स्क्वायर* के प्रोपराइटर अजय प्रताप सिंह द्वारा स्टांप पेपर पर स्वीकार किया गया कि उनके द्वारा सभी कर्मचारियों से दो माह समान वेतन धनराशि सिक्योरिटी धनराशि ली जाती है। जिसे वह सेवा समाप्ति के समय कर्मचारी को वापस देते हैं लेकिन आज तक इतनी शिकायतों के बाद भी किसी कर्मचारी को उनके द्वारा किसी भी प्रकार की धनराशि नहीं दी गई बल्कि बहुत से कर्मचारियों का 1 से 3 माह का वेतन भी रोका गया है, जिसे अभी तक नहीं दिया गया है।

अब विभाग की जिम्मेदारी नये प्रभारी उपनिदेशक के रूप में श्री विक्रम सिंह दी गई है। इसलिए विभाग के पूर्व आउट सोर्स कर्मचारियों में उक्त प्रकरण पर उचित कार्रवाई हेतु उम्मीदें जगी है, अब देखना यह होगा कि नए प्रभारी उपनिदेशक महोदय इस ए स्क्वायर कंपनी पर क्या कार्रवाई करते हैं और आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशान कर्मचारियों की शिकायतों को किस तरह से निस्तारण करते हैं।

बाल विकास सचिव हरीश चंद्र सेमवाल ने इस मामले पर पर्वतजन को बताया कि “विभाग इस तरह के मामलों का संज्ञान ले रहा है और जल्द ही इस मामले पर विधिक कार्यवाही की जाएगी”l

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