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गंगा पर त्रिवेन्द्र सरकार मौन : अब भगीरथ बने कौन?

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कुमार दुष्यंत //
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हरिद्वार। हरीश रावत सरकार द्वारा हरकीपैडी की गंगा धारा को स्क्रैब चैनल घोषित करने के बाद कांग्रेस सरकार को घेरने वाली भाजपा अब इस मुद्दे पर खुद घिर गई है।सत्ता आने पर इस फैसले को बदलने का दावा करने वाली भाजपा अब इस मुद्दे पर मौन होकर बैठ गई है।

हरीश रावत सरकार द्वारा होटल लॉबी के दबाव में गंगा का परिसीमन बदलने का आरोप लगाने वाली भाजपा व पंडे-पुरोहित अब इस पर चुप्पी साधे हैं। गंगा से सीधे-सीधे जुड़ी हरकीपैडी की प्रबंधकारिणी गंगा सभा की भी अब गंगा को नीलधारा से हरकीपैडी लाने में कोई खास रुचि नहीं है।इस सबका कारण गंगा के परिसीमन को पूर्व की भांति करने के खिलाफ होटल लॉबी का खड़ा हो जाना माना जा रहा है।
सत्ता संभालने के बाद गंगा पूजन के लिए हरकीपैडी आए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने तब पुरोहित समाज को आश्वस्त किया था कि वह शीघ्र ही गंगा को पूर्व की भांति अधिसूचित करेंगे।हरिद्वार से चुनकर जाने वाले नगर विकास मंत्री भी हरीश रावत सरकार के इस फैसले को गलत करार दे चुके हैं।पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री का भी हरिद्वार से सीधा वास्ता है।लेकिन इसके बावजूद पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को निरस्त करना तो दूर सरकार इस बारे में अबतक एक बैठक नहीं बुला पायी है।माना यही जा रहा है कि हरीश रावत पर होटल लॉबी के हाथों बिकने का आरोप लगाने वाली भाजपा की त्रिवेन्द्र सरकार अब खुद होटल लॉबी के दबाव में है।
हरिद्वार की होटल लॉबी को भाजपा के निकट माना जाता है।कई होटल कारोबारी सीधे-सीधे भाजपा की राजनीति से जुड़े हुए हैं।यह होटल कारोबारी निशंक सरकार के दौरान भी अपने होटलों को ध्वस्तिकरण से बचाने के लिए सक्रिय हुए थे।माना जा रहा है कि अब इसी होटल लॉबी के दबाव में सरकार गंगा के मुद्दे को भूल जाना चाहती है।गंगा की धारा को बदलने के निर्णय पर घोर आपत्ति जताने वाली हरिद्वार के

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पंडे-पुरोहितों की संस्था गंगा सभा भी इस मुद्दे पर अब चुप होकर बैठ गई लगती है।गंगा की धारा को पूर्ववत करने के उसके दो-दो प्रस्ताव चार महीने बाद भी दून तक का सफर तय नहीं कर सकें हैं।इसका कारण भी पुरोहितों की होटल लॉबी को माना जा रहा है।हरिद्वार में पुरोहितों के भी गंगा किनारे सैंकड़ों होटल और लॉज हैं।परिसीमन बदलने के बाद यह सभी होटल व लॉज पूर्ववत उच्च न्यायालय के ध्वस्तिकरण आदेशों की जद में आ जाएंगे।इसलिए फिलहाल न तो इस मुद्दे पर हरीश रावत को निशाना बनाने वाली भाजपा ही कुछ करने के मूड में है।व न ही वह गंगासभा जो कि सीधे-सीधे गंगा से ही जुड़ी है।अलबत्ता पुरोहितों की एक लॉबी ने अवश्य मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर गंगा को पूर्व की भांति अधिसूचित करने की मांग की है।रोचक बात यह भी है कि पंडे-पुरोहितों की नाराजगी के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत स्वयं ही मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से अपनी सरकार के इस फैसले को बदलने की मांग कर चुके हैं।

एक वक्त भगीरथ गंगा को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए थे।लेकिन आज गंगा को उस भगीरथ की जरूरत है जो उसे एक फर्लांग दूर नीलधारा से हरकीपैडी ले आए!
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