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दरोगा को बिना बात निलंबित करने पर SSP की फजीहत तय!

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लैंसडाउन में किसानों के एक सम्मेलन में आए हल्द्वानी के एक किसान ने सिपाहियों के रिश्वत लेने की बात क्या उठाई कि मुख्यमंत्री ने मंच से ही नैनीताल के एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को इस मामले में जांच करके आरोपित दरोगा को निलंबित करने के लिए कह दिया।
मंत्री के फरमान को अकाट्य मानते हुए एसएसपी ने दो कदम आगे बढ़ कर दरोगा नीरज भाकुनी को बिना जांच किए ही सस्पेंड कर दिया और सीओ डीसी ढौंडियाल से जांच रिपोर्ट मांग ली।
इधर दरोगा को बिना बात सस्पेंड करने का मामला संज्ञान में आते ही आरटीआई तथा मानवाधिकार कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार ने एसएसपी नैनीताल से 48 घंटे की समय सीमा में सूचना मांग ली है। सूचना के अधिकार में भूपेंद्र कुमार ने मांगा है कि थाना अध्यक्ष को निलंबित करने से पूर्व किस जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यवाही की गई।उन्होने पूछा है कि बिना जांच के निलंबित करने का आधार क्या था!
जाहिर है कि बिना जांच के दरोगा को निलंबित करने पर अब एसएसपी जन्मेजय खंडूरी की फजीहत तय है। उन्हें उसे बहाल करना पड़ेगा।
इससे पहले वर्ष 2013 में भी विजय बहुगुणा सरकार में भी छुटभैया नेताओं के कहने पर क्षणिक वाहवाही लूटने के लिए विकासनगर देहरादून के बेकसूर एसडीएम अरविंद पांडे को सस्पेंड कर दिया गया था। भूपेंद्र कुमार ने इस मामले की जानकारी सूचना के अधिकार में लेकर मानवाधिकार आयोग में उठाया तो मानवाधिकार आयोग के आदेश पर तत्काल शासन को यह निलंबन वापस लेना पड़ा था।
इस मामले में शासन ने बैकफुट पर आते हुए निलंबन के दिन से ही अरविंद पांडे को बहाल कर दिया था। भूपेंद्र कुमार ने इस मामले को तब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में उठाने से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक इसकी अपील की थी। नीरज भाकुनी के मामले में भी ऐसा ही प्रकरण देखने को मिल रहा है कि बिना गलती के उन्हें सस्पेंड किया गया है। किसान के लड़के ने बताया कि वह नीरज भाकुनी को जानते तक नहीं है। उनसे तेजपत्ता की गाड़ी बाजार में बेचने के लिए ले जाते समय 2 सिपाहियों ने जरूर ₹500 मांगे थे लेकिन उन्होंने नहीं दिए थे। इसकी जानकारी किसान के बेटे ने लैंसडौन सीएम के कार्यक्रम में गए अपने पिता को फोन पर दी तो किसान ने बीच कार्यक्रम में इस मामले में कार्यवाही करने के लिए मुख्यमंत्री को कह दिया था। मुख्यमंत्री ने सिपाहियों पर कार्यवाही करने के बजाए अथवा वस्तुस्थिति जानने के बजाए फोन पर ही नैनीताल के एसएसपी को निर्देश दिया कि दरोगा को जांच करके निलंबित कर दिया जाए। बस फिर क्या था एसएसपी ने हुकुम की बिना जांच पड़ताल किए तामिल कर दी।
भूपेंद्र कुमार ने बताया कि बेकसूर दरोगा को न्याय दिलाने के लिए वह इसकी शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय तक कर रहे हैं।
एसएसपी इस मामले मे कोई कारण नही बता पाए।

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