पर्यटन सचिव ने आपदा के दौरान डीएम रहते हुए दिया था डिजास्टर टूरिज्म का कांसेप्ट
पर्वतजन ने याद दिलाया पर्यटन सचिव को उनका संकल्प।
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व्यापार मण्डल ने पर्वत पर वृक्षारोपण के साथ शुरू की पहल
पर्यटन विभाग को भेजेंगे अपने सुझाव
वर्ष 2003 मे उत्तरकाशी मे हुई वरुणावत त्रासदी ने देश और दुनिया को खूब डराया था किन्तु पर्वत के ऐतिहासिक उपचार के बाद तत्कालीन डीएम आर . मीनाक्षी सुंदरम जो अब पर्यटन सचिव है ने आपदा के अंदर से ही पर्यटन को विकसित करने का कंसेप्ट दिया था। अब व्यापार मंडल ने इस पहल पर काम करना शुरू कर दिया है।
उत्तरकाशी व्यापार मण्डल के एक दल ने वरुणावत टॉप का सर्वे कर अपनी रिपोर्ट पर्यटन विभाग को भेज दी है। डीएम उत्तरकाशी डॉ आशीष कुमार और विधायक गंगोत्री गोपाल रावत ने भी इसमे पूरा सहयोग करने का भरोसा दिया है।
व्यापार मण्डल के जिला अध्यक्ष सुभाष बडोनी ने बताया की पहाड़ों मे पर्यटन ही एक मात्र रोजगार का जरिया है।
वरुणावत टॉप पर हिमाचल प्रदेश के पर्यटक स्थल कुफ़री की तर्ज पर पर्यटन विकसित किया जा सकता है। यहां सनराइज और सनसेट के दृश्य आलोकिक हैं।
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यहां से पैरा ग्लाईडिंग की भी अपार संभावना है।इसके अलावा यहां झूले और कैंटीन स्थापित करके “वीक एंड पॉइंट” बनाया जा सकता है।यहां चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों को भी गंगोत्री–यमनोत्री दर्शन के साथ पहाड़ी की सुंदरता के दर्शन कराये जा सकते हैं।
वरुणावत उपचार के दौरान बनी हुई सड़क की मरम्मत कर इसे ठीक कर यहां दो तरफ से घुड़सवारी का आनंद लेते हुए भी टॉप तक पहुंचा जा सकता है।
पर्यटन से मिले राजस्व से वरुणावत उपचार की निगरानी भी की जा सकेगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के भी अवसर मिल सकेंगे। वरुणावत पर्वत के चारों तरफ 33 करोड़ देवताओं का वास माना गया है और बनारस की तर्ज पर यहां भी इस पर्वत की वारुणी यात्रा मे हर वर्ष हजारों लोग उमड़ते हैं।
संगरली की ग्राम प्रधान सुमति ने बताया कि वरुणावत पर पर्यटकों को स्थानीय लोक संस्कृति के भी दर्शन कराये जा सकते हैं।
पिछले महीने “दयारा बटर फेस्टिवल” के दौरान उत्तरकाशी के दौरे पर पहुंचे पर्यटन सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम से हमने बात की और आपदा से पर्यटन के उनके कंसेप्ट की याद उन्हे दिलाई तो सचिव ने पूरी तरह से इस कार्य मे मदद का भरोसा दिलाया है।
व्यापार मण्डल ने पर्वत पर सजावटी पेड़ों का रोपण करने के बाद पूरे इलाके का सर्वे करके अपने सुझाव डीएम और विधायक के माध्यम से पर्यटन विभाग को भेजे हैं।
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वर्षों से पुरखों द्वारा खोजे गए गंगोत्री, यमनोत्री केदारनाथ और बद्रीनाथ चार धाम यात्रा के अलावा उत्तराखंड के और अन्य खूबसूरत दृश्य अभी पर्यटन के मानचित्र पर आने बाकी हैं।
चार धाम यात्रा के साथ इस पर्यटक स्थल पर यात्री रुकेंगे तो होटल व्यवसाय के साथ स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति मे भी सुधार होगा।