कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के नैनीताल को ब्रिटेन और कनाडा जैसा खूबसूरत बनाने के मकसद से चिनार(मेपल)के पेड़ों को हाईलाइटर फोकस लाइट से सजाया जा रहा है। नगर पालिका के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को बिना वन विभाग की अनुमति के लगाए जाने से शहरभर में हलचल है। वन विभाग जहां नगर पालिका को सामान्य अनुमति लेने की हिदायत दे रहा है वहीं नगर पालिका का मानना है कि पालिका क्षेत्र के पेड़ उनके स्वामित्व में हैं और वो नियमों का ध्यान रखते हुए सौन्दर्यकरण का काम कर रहे हैं।
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नैनीताल की विश्वविख्यात मॉल रोड के पेड़ों में इनदिनों एक एल्युमिनियम रिंग के सहारे चार एल.ई.डी.फोकस लाइट लगाई जा रही हैं । शहरवासियों का कहना है कि ये लाइटें बेहद कम ऊंचाई पर लगाई जा रही हैं जिससे इनके चोरी होने का डर बन गया है। अधिवक्ता मनीष जोशी और सूखाताल नीवासी शैलेन्द्र साह ने कहा कि लाइट केवल 5 से 5.6 फ़ीट की ऊंचाई में लगाई गई है, जिसे उपद्रवी तत्व आसानी से तोड़ या चोर सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अल्युमिनियम बेल्ट को भी बेरहमी से पेड़ पर कील से कसा गया है। इससे पहले भी ठंडी सड़क में झील के सौन्दर्यकरण के लिए रिफ्लेक्टर लाइट लगाई गई थीं जिन्हें लोगों ने गायब कर दिया था।
ई.ओ.रोहिताश शर्मा ने बताया कि मॉल रोड के पेड़ों को सुंदर दर्शाने के लिए इन लाइटों को लगाया जा रहा है। आयुक्त राजीव रौतेला की अध्यक्षता में पर्यटन नगरी को सुंदर बनाने के लिए हुई एक बैठक में इन लाइटों को लगाना तय किया गया था । उन्होंने बताया कि नगर पालिका क्षेत्र के पेड़ नगर पालिका की मालकियत होते हैं और इनके सौन्दर्यकरण के लिए उन्हें वन विभाग की अनुमति की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि एक रिंग में चार एल.ई.डी.फोकस लाइट लगाई जाएगी जिससे पेड़ सुंदर तो दिखेंगे, लेकिन इसमें ज्यादा बिजली नहीं लगेगी । रोहिताश के अनुसार एक लाइट की कीमत लगभग ₹800/= है।
डी.एफ.ओ.बीजू लाल टी.आर.ने बताया कि एक बैठक में ये प्लान पास तो हुआ था लेकिन इसके लिए नगर पालिका ने कोई अनुमति नहीं ली है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका को सूचित किया जा रहा है कि वो लिखित प्रार्थना पत्र देकर वन विभाग से अनुमति ले लें । एस.डी.ओ.दिनकर तिवारी ने बताया कि पेड़ों की मलकियत बेशक नगर पालिका की हो सकती है लेकिन इसपर कानून फारेस्ट एक्ट के अनुसार ही लगेगा। इसके अलावा उन्होंने बताया कि मालरोड के लगभग 41 पेड़ों में रिंग और लाइट कसी गई है। इसमें चिनार, बांज और यूकिलिप्टस के पेडों पर ये लैहतें लगाई जा रही हैं।