कमल जगाती, नैनीताल
न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर सरकार को पक्षकार बनाया और नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए विस्तृत शपथपत्र पेश करने को कहा है।
बाईट : मोहमद मतलूब, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने देहरादून के आर.टी.आई.क्लब की जनहित याचिका पर
सुनवाई की।
याचिका में कहा गया है कि विद्युत विभाग में तैनात अधिकारियों को एक महीने का बिल महज 400/= से 500/= रुपए और दूसरे कर्मचारियों से 100/= रुपए ले रही है जबकि इनका बिल लाखो में आता है। इसका बोझ सीधे जनता पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का ये भी कहना है कि प्रदेश में कई अधिकारियों के घर बिजली के मीटर तक नहीं लगे हैं और जो लगे भी हैं वो खराब स्थिति में हैं।
याची ने उदारहण के तौर पर न्यायालय को बताया कि जनरल मैनेजर का 25 माह का बिजली का बिल 4 लाख 20 हजार आया था और उसके बिजली के मीटर की रीडिंग 2005 से 2016 तक नही ली गयी। वहीं कोर्पोरेशन ने वर्तमान कर्मचारियों के अलावा रिटायर व उनके आश्रितों को भी बिजली मुफ्त में दी जा रही है।
इसका सीधा भार आम जनता की जेब पर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश घोषित है लेकिन यहां हिमांचल से मंहगी बिजली है, जबकि वहाँ बिजली का उत्पादन तक नही होता है।