THDC द्वारा संचालित टिहरी बांध में अभीतक उत्तराखंड राज्य को मात्र 12 % आय अर्जित होती है और बांध की शेष आय उत्तर प्रदेश ब भारत सरकार को जाती है, जबकि बांध प्रभावित संपूर्ण क्षेत्र टिहरी व आसपास के इलाके केवल उत्तराखंड राज्य में है।
टिहरी बांध व राज्य में अन्य बांध बनने से राज्य का पर्यावरण ढांचा बहुत प्रभावित हुआ है और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं जैसे उत्तरकाशी 2012, केदारनाथ 2013, रैणी 2021 जैसी कई आपदाओं के कष्ट को राज्य ने ही झेला है।
उत्तराखंड में राज्य के युवाओं की बेरोजगारी दर 10.99 % जबकि शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर 17.4% है जोकि राज्य के युवाओं के लिए बहुत चिंताजनक है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में उत्तराखंड सरकार के उद्योग विभाग ने शासनादेश जारी कर राज्य के मूल निवासियों के लिये प्राइवेट कम्पनियों के लिये भी 70 % रोजगार को अनिवार्य किया गया था, किन्तु आजतक युवाओं को इसका संपूर्ण लाभ नही मिल पाया।
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष
उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 में विभिन्न धाराओं
व पद्मविभूषण स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा के कथन ” Ecology is Permanent Economy ” से प्रेरणा के आधार पर टिहरी बांध से अर्जित सम्पूर्ण 100% आय उत्तराखंड राज्य को दिलाने की मांग करी है, जिससे सम्पूर्ण अंश से राज्यहित में उपयोग किया जा सकेगा।
याचिका में तथ्य दिये गये कि टिहरी बांध का सम्पूर्ण भाग उत्तराखंड में ही स्तिथ है इसीलिए उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अनुरूप इस पर सम्पूर्ण अधिकार उत्तराखंड राज्य का बनता है।
टिहरी बांध व विस्थापन की पूर्ण लागत 9900 करोड़ थी जबकि 2020 तक ही THDC ने 26000 करोड़ से ज्यादा कुल आय अर्जित करी , THDC ने अपना हिस्सा मार्च 2020 में NTPC को बेचकर भी 7500 करोड़ रुपये की आय करी तथा और भी कई तकनीकी बिंदु न्यायालय के समक्ष रखे, जिससे टिहरी बांध के सम्पूर्ण राजस्व पर तकनीकी रूप से उत्तराखंड को अधिकार मिल सके।
राज्य बनने के बाद से अबतक याचिका में उत्तराखंड सरकार के 2006 के राज्य के मूलनिवासी के 70% रोजगार हेतु शासनादेश के अनिवार्य रूप से पूरे प्रदेश की प्राइवेट इकाइयों में अनिवार्य रूप से लागू करने की भी माँग की गई है, जिसे लागू करने से राज्य में युवाओं को अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे व बढ़ती हुई बेरोजगारी दर को रोकने में भी सहायता मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि देहरादून निवासी याचिकाकर्ता अभिनव थापर मूल रूप से टिहरी बांध-विस्थापित परिवार से है और सामाजिक कार्यों में अपना योगदान कई रूप से देते रहते है।
उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद आस-पास के प्रदेशों लोगों ने प्रदेश की ओर रूख किया जिससे राज्य के मूल-निवासियों के रोजगार पर खतरा उत्पन्न हो गया, 70 % प्रतिशत रोजगार का उत्तराखंड के युवाओं को लाभ मिलना चाहिए।
जनहित याचिका के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश युक्त पीठ ने इस याचिका के उत्तराखंड राज्य को टिहरी बांध के राजस्व व प्रदेश के युवाओं के रोजगार बढ़ाने के विषय का संज्ञान ले लिया है और सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।