स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक के मामले में प्लास्टिक में अपने उत्पाद बेचने वाले, परिवहनकर्ता और विक्रेताओं को दस दिन के भीतर अपना रजिस्ट्रेशन उत्तराखण्ड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में कराने के निर्देश दिए है।
इसके अलावा अगर ये अपना रजिस्ट्रेशन नही कराते हैं तो सरकार उनके उत्पादों की उत्तराखंड में बिक्री पर रोक लगाएं। न्यायालय ने तीन सप्ताह के भीतर पूरे प्लास्टिक कचरे का निस्तारण कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है ।
खंडपीठ ने उत्पादकर्ता ,परिवहनकर्ता और विक्रेता से कहा है कि वो यह भी सुनिश्चित करें कि खाली प्लास्टिक की बोतलें, चिप्स के रैपर आदि को वापस लें जायँ। अगर वापस नहीं ले जाते हैं तो उसके बदले नगर निगम, नगर पालिका, ग्राम पंचायतों और अन्य को फण्ड दें, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें।
न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण इसकी मोनिटरिंग करेगा। मुख्य न्यायाधीश विपीन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे ने राज्य सरकार से प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रचार प्रसार करने को कहा है।
मामले के अनुसार अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी। परन्तु इन नियमों का पालन नही किया जा रहा है।
वर्ष 2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे, जिसमे उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता व बिक्रेताओ को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे। अगर नही ले जाते है तो सम्बंधित नगर निगम , नगर पालिका व अन्य फण्ड देंगे जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें। परन्तु उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है।
पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नही किया जा रहा है। खण्डपीठ ने सभी पक्षकारों से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई पांच सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।