अनुज नेगी
कोटद्वार।लैंसडाउन वन प्रभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के घर का चूल्हा जलना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि दैनिक वेतन भोगियों को एक एक साल से वेतन नहीं दिया गया।
अपने वेतन की मांग को लेकर अब इन कर्मचारियों को विभाग ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिसके कारण कर्मचारियों को अब बेरोजगारी ओर आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है।
प्रदेश में वन विभाग का सबसे भृष्ट डिवीजन लैंसडाउन डीविजन हमेशा अपने कारनामो से सुर्खियों में बना रहता है,चाहे बात करोड़ो के हाथी सुरक्षा दीवार की हो या अवैध हरें भरे पेंडो के पातन की हो या अवैध खनन की हो।
अब मामला वन विभाग के दैनिक वेतन भोगियों का है। फायर सीजन हो या खनन माफियाओं की निगरानी करनी हो तभी विभाग को इन कर्मचारियों की जरूरत पड़ती है,काम निकलते ही विभाग के अधिकारी इन कर्मचारियों को मजदूरी करने व फ्री में कार्य करने की नसीहत देते है।
बता दे लैंसडाउन वन प्रभाग की सबसे भृष्ट रेंज कोटद्वार में दिन रात कार्य करने वाले दैनिक वेतन भोगियों के साथ विभाग के अधिकारी मजाक कर के उनकी रोजी रोटी छीन रहें है।
विभाग ने इन कर्मचारियों को एक -एक साल से वेतन न देकर अब उनको विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जिसके कारण अब इन कर्मचारियों के परिवार पर रोजी रोटी के के बादल छाने लगे हैं।
वही जब पर्वतजन ने तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडाउन अमरेश कुमार से बात की तो उनका कहना था कि जब विभाग के दैनिक वेतन भोगियों को वेतन नही मिल रहा तो वो विभाग को छोड़ कर मजदूरी करने की सलाह देने लगे।
अब सवाल यह है कि जब विभाग को सीजन में इन दैनिक वेतन भोगियों की जरूरत पड़ती है उस वक्त विभाग के अधिकारी इनको संविदा का लालच देकर इनसे काम निकाल देते है उसके बाद न तो इनको महीनों महीनों का वेतन दिया जाता है,वही जब कोई कर्मचारी वेतन के लिए इनपर दवाब बनाता है तो ये उसको बाहर का रास्ता दिखा देते है।
सूत्रों की माने तो पिछले कहीं वर्षो में सेकड़ो ऐसे कर्मचारी भी जो कई महीनों का वेतन न लेकर विभाग को छोड़ कर चले ही गए।मगर आज तक उनको किसी भी तरह का कोई पैसा नही दिया गया हैं। अब सवाल है कि विभाग के इन दैनिक वेतन भोगियों का वेतन का गोलमाल कोंन करता है।
बातादें कि वन विभाग ने लैंसडाउन वनप्रभाग के दैनिक वेतन भोगियों का बजट मार्च में ही जारी कर दिया था।मगर तत्कालीन प्रभागीय वनाधिकारी ने बजट को दैनिक वेतन भोगियों को जारी नही किया ,जसके कारण बजट वापस चला गया।अब सवाल यह है कि आखिर अधिकारी ने इन दैनिक वेतन भोगियों का वेतन जारी क्यों नही किया कहीं इस वेतन में कोई बड़ा खेल तो नही हैं।
“मेरे संज्ञान में दैनिक वेतन भोगियों मामला है,कहीं कर्मचारियों को एक एक साल से वेतन नही मिला है,एक दो माह में सभी कर्मचारियों का वेतन जारी कर दिया जाएगा। ओर इस दौरान किसी भी अन्य कर्मचारी को नही रखा जाएगा,ओर अगर आवश्यकता पड़ेगी तो पहले हटाये गए कर्मचारियों को मौका दिया जाएगा।” ———————-
दिनकर तिवारी – प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडाउन
वही इन भृष्ट अधिकरियों ने खनन माफियाओं ओर लकड़ी माफियाओं से महीना बांधा रहता है।