भीषण बस दुर्घटना में 36 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हैं। घायलों को इलाज कराने को लेकर अफरातफरी व चीख-पुकार मची हुई थी।
ऐसे में रामनगर संयुक्त चिकित्सालय से प्राथमिक उपचार के बाद घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में भेजा जा रहा था। 41 वर्षीय घायल रमेश रावत को निजी एंबुलेंस से डा. सुशीला राजकीय चिकित्सालय (एसटीएच) लाया जा रहा था।
जब एंबुलेंस आधे रास्ते में पहुंची तो उसने घायल के स्वजन से पैसे की डिमांड कर दी है। इससे स्वजन भी हक्का-बक्का रह गए।
घायल रमेश के ससुर उदय रावत ने आरोप लगाया कि एबुलेंस चालक ने पेट्रोल पंप में एबुलेंस रोकी और 1500 रुपये पेट्रोल भराने के लिए मांगने लगा।
हमने कहा कि हमारे पास पैसे नहीं थे, लेकिन वह जिद करने लगा। वाहन को खड़ा कर दिया। ऐसे में 1500 रुपये देने पड़े। इसके बाद जब एसटीएच पहुंचे तो फिर पैसे की डिमांड करने लगा लेकिन बाद में अस्पताल के लोग आ गए।
आखिर ये कैसी एम्बुलेंस सेवा हैं जिसमें संवेदनाएं बिल्कुल मर चुकी हैं कहने को तो एम्बुलेंस सेवा फ्री हैं फिर इतने बड़े हादसे के बाद तुरंत अस्पताल पहुंचाने की जगह पीड़ितों से पैसे मांगना अजब ही है।
अब देखना होगा कि क्या इस बात की तह तक जाकर इस पर उचित कार्यवाही संबंधित विभाग द्वारा की जाएगी या नहीं!