स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने सिड्कुल पंतनगर मैसर्स भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड (माइक्रो मैक्स) कम्पनी द्वारा वर्ष 2018 में 302 श्रमिकों की छटनी किए जाने के मामले में
302 श्रमिकों के हित में निर्णय देते हुए कम्पनी की याचिका को निरस्त कर दिया है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने हल्द्वानी के अद्योगीक विवाद अभिकरण के निर्णय को सही ठहराया है ।
मामले में अनुसार मैसर्स भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड (माइक्रो मैक्स) श्रमिक यूनियन द्वारा वर्ष 2018 में औद्योगिक विवाद अभिकरण हल्द्वानी में वाद दायर कर कहा था कि कम्पनी ने 302 श्रमिकों की छटनी केंद्रीय औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25एन के विरुद्ध जाकर कर दिया है। जबकि अधिनियम में प्रावधान है कि अगर कोई कम्पनी 100 से अधिक श्रमिकों की छटनी करती है तो उसको पहले बोर्ड से अनुमति लेनी होगी और साथ मे श्रमिकों को तीन माह का नोटिस दिया जाएगा।
अभिकरण में सुनवाई के दौरान कम्पनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनपर केंद्रीय औद्योगिक अधिनियम लागू नही होता है और उनपर राज्य के औद्योगिक अधिनियम लागू होते है। राज्य के नियमो के तहत उन्होंने इस श्रमिकों की छटनी की है।
औद्योगिक विवाद अभिकरण ने कम्पनी के इस तर्क को निरस्त करते हुए श्रमिकों के हित मे निर्णय देते हुए कहा कि कम्पनी पर केंद्रीय औद्योगिक नियमावली 1947 की धारा 25 एन के रूल ही लागू होते है। इसलिए कम्पनी द्वारा की गई छटनी अवैध है। इस आदेश को कम्पनी द्वारा उच्च न्यायलय में 2020 में चुनोती दी ।
बीते कल सुनवाई के दौरान कम्पनी द्वारा यह भी कहा गया कि 144 श्रमिकों ने मुआवजा भी ले लिया है अब उनका कोई अधिकार नही बनता है।
न्यायालय ने कहा कि अधिनियम की धारा 25 एन(सात) के तहत मुआवजा लेने से छटनी वैध नही हो सकती। उनका भी उतना ही अधिकार होता है जितना कि बिना मुआवजा लिए श्रमिकों का।