स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सूखाताल झील में हो रहे सौदर्यीकरण और भारी भरकम निर्माण कार्यों के खिलाफ न्यायालय के स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार, एल.डी.ए.और कुमायूँ मंडल विकास निगम से 4 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे खंडपीठ ने अगली सुनवाई 4 अप्रैल को तय की है।
आज सुनवाई के दौरान एल.डी.ए.और कुमायूँ मंडल विकास निगम की तरफ से कहा गया कि लेक का सौन्दर्यकरण किया जा रहा है। झील के चारो तरफ बाउंड्रीवाल बनाया जा रहा है झील के प्राकृतिक स्रोतों को नही छेड़ा जा रहा है। इस झील की डी.पी.आर. आई.आई.टी. रुड़की के द्वारा बनाया गयी है। झील से गार्बेज निकाला जा रहा है। झील में पानी जमा होने से नैनी लेक रिचार्ज होती रहेगी।
मामले के अनुसार नैनीताल निवासी डॉ.जी.पी.साह व अन्य ने न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था ।
पत्र में कहा गया है कि सूखाताल नैनीझील का मुख्य रिचार्जिंग ज़ोन है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किये जा रहे हैं । पत्र में यह भी कहा गया है की, झील में पहले से ही लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना दिये, जिनको अभीतक नही हटाया गया। पहले से ही झील के जल स्रोत सूख चुके है । जिसका असर नैनीझील पर पड़ रहा है। कई गरीब परिवार जिनके पास पानी के कनेक्शन नहीं हैं, मस्जिद के पास के जल स्रोत से पानी पिया करते है । अगर वो भी सूख गया तो ये लोग पानी कहाँ से पिएंगे । इसलिए इसपर रोक लगाई जाए। पत्र में यह भी कहा गया है कि उन्होंने इससे पहले जिलाधिकारी कमिश्नर को ज्ञापन दिया था, जिसपर कोई कार्यवाही नही हुई। पूर्व में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने इस पत्र का स्वतः संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई के लिये पंजीकृत कराया था